लकीरें देख ले पढ़कर
बड़ा गुमसुम,बड़ा तन्हा,बड़ी दहशत में बैठा हूँ
चले आओ कि मैं भी आजकल फुरसत में बैठा हूँ
मुझे नफ़रत भरी नजरों से ऐसे देखने वाले
लकीरें देख ले पढ़कर तेरी किस्मत में बैठा हूँ
किसी की आरजू हूँ मैं किसी की जुस्तजू मैं हूँ
मुझे मालूम है मैं भी किसी हसरत में बैठा हूँ
खजाना तेरी यादों का दिखाऊँ क्यों उसे जाकर
वो कहता है तो कहने दे कि मैं गुरबत में बैठा हूँ
बड़ा ही कीमती है वक़्त अब तो इत्तला कर दे
खबर सच है तिरे आने कि या गफलत में बैठा हूँ
मुहब्बत के मसीहाओं जरा खामोश हो जाओ
मजा चाहत का लेने दो अभी फुरक़त में बैठा हूँ
किया है एकतरफा प्यार मेरी मौत ने मुझसे
मगर मैं जिंदगी अब भी तेरी उल्फ़त में बैठा हूँ
न काबा में न काशी में मिला मुझको सुकूँ लेकिन
छुआ आँचल जो माँ का यूँ लगा जन्नत में बैठा हूँ