Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 2 min read

लकवा

लकवा

“मम्मी, डॉक्टर लोग तो अक्सर कहते रहते हैं कि जो लोग नियमित रूप से शारीरिक श्रम, व्यायाम और योगा वगैरह करते हैं, उन्हें कभी लकवा नहीं मारता। फिर पापा… वे तो ये सब करते थे फिर भी…?”

“बेटा तुम्हारी बात एकदम सही है। तुम्हारे पापा रोज योगा करते थे। मॉर्निंग वॉक, इवनिंग वॉक भी करते थे। रोज साइकिल से ऑफिस जाते-आते थे, फिर भी उन्हें लकवा मार गया। जानना चाहते हो क्यों ?”

“—-”

“क्योंकि वे एक सहृदय इंसान थे। एक आदर्श पति, जिम्मेदार पुत्र और बेहतरीन पिता थे। क्या कुछ नहीं किया उन्होंने अपने परिवार के लिए… और हम लोगों ने क्या किया उनके लिए… तीस साल पहले जब हमारी शादी हुई थी, तब हम सभी किराए के मकान में रहते थे, जबकि आज हम इस शहर की एक अच्छी कॉलोनी में अपने खुद के घर में रह हैं। तुम्हारे दादा-दादी अपने अंतिम समय तक हमारे साथ प्रसन्नतापूर्वक रहे। उनकी सेवा-खातिर में तुम्हारे पापा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। तुम दोनों भाई-बहनों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने दो-दो जगह नौकरियां कीं। और याद है वह दिन, जब तुम्हारी दीदी अपने एक सहकर्मी के साथ मंदिर में शादी करके घर आई और बोली कि “पापा, ये आपके दामाद रमेश जी हैं। मेरे ही दफ्तर में काम करते हैं। आज हमने मंदिर में शादी कर ली है।” तब देखा था तुमने अपने पापा की हालत… कई हफ्ते सो नहीं सके थे वे। छुप-छुप कर रोते थे। रही-सही कसर तुम निकालते रहते हो, बार-बार यह कहकर कि “आपने हमारे लिया किया ही क्या है अब तक ?”

“—-”

“बेटा, याद रखना हमेशा लकवा शरीर को नहीं मारता, बल्कि मस्तिष्क को मारता है। जब अपने ही लोग दिल को चोट पहुंचाते है, तब आदमी असहाय महसूस करता है। खुद को पैरालाइज्ड समझने लगता है। जीवन निरर्थक लगने लगता है।”

“मम्मी, आप एकदम सही कह रही हैं। पापा ने पूरा जीवन लगा दिया हमें संवारने में और हमने… मां, सॉरी… मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं अपने पापा से भी बेहतर पुत्र बनकर दिखाऊंगा।” बेटा मम्मी के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला।

मां की आंखें नम थीं, हॉस्पिटल के बेड पर पड़े पापा की आंखों से भी आंसू की बूंदें टपक रही थीं।

– डॉ प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

Language: Hindi
347 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...