लकड़ी की डाल से चिपकी एक लकड़ी का फूल थी मैं
लकड़ी की डाल से
चिपकी
एक लकड़ी का फूल थी
मैं
जैसी भी थी
पर खुद को पहचानती
एक दर्पण में झांकती
यह कोई और नहीं
खुद मैं थी मैं
दुनिया कहीं मुझे मेरी
पहचान से जुदा न कर दे
दुनिया के रंग में रंग
कहीं मैं खुद को ढूंढने लगूं
और आवाज देकर पूछूं
कहां छूटा था तेरा साथ
इस भीड़ में कैसे खुद को
तलाशूं
कहां छूटी थी खुद से
कौन हूं मैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001