रोज़ कुरेदा ज़ख़्मों को
रोज़ कुरेदा ज़ख़्मों को
खूब बहाया अश्कों को
जब तक मुझमें हिम्मत थी
खूब निभाया रिश्तों को
कि सराबोर हुये दर्द से
छू बैठा जब यादों को
रुत प्यार की ख़त्म हुई
भूल गया वो वादों को
रोज़ कुरेदा ज़ख़्मों को
खूब बहाया अश्कों को
जब तक मुझमें हिम्मत थी
खूब निभाया रिश्तों को
कि सराबोर हुये दर्द से
छू बैठा जब यादों को
रुत प्यार की ख़त्म हुई
भूल गया वो वादों को