रोला छंद
*
सृजन शब्द- संशय
संशय हुए सब दूर, जगत को
जबसे जाना।
स्वार्थ का है प्रेम,झूठ का ताना
बाना ।।
नफरत का है रोग, दिलों के नाते
तोड़े।
पैसा कारण आज, सगे हैं रिश्ते
छोड़े ।।
चार दिनों का खेल, देख नहिँ
जीवन खोना।
प्रेम प्यार से सींच,हृदय का कोना
कोना।।
मन से निकाल क्लेश,तनिक मत
संशय करना ।।
बोलें कुछ भी लोग, मस्त ही
हरदम रहना।
संशय मत कर मान, सृष्टि के कण
कण में रब ।
प्रीति से हो भक्ति ,पार हो जाएं
हम सब।।
राम नाम कर ध्यान, शांत हो जाता
तन मन।
मिटता है हर पाप, बने है सुंदर
जीवन
सीमा शर्मा “अंशु”