रेशा-रेशा जैसे बिखरा
रेशा-रेशा, जैसे बिखरा
दिल का चमन भी ऐसे उजड़ा
ग़ैरों से शिकवा कुछ भी नहीं
बाग़ मिरा अपनों ने लूटा
प्रेम गुनाह है यार अगर तो
दे इल्ज़ाम मुझे मत झूठा
तुम क्या यार गए दुनिया से
प्यारा सा इक साथी छूटा
ऊपर वाले से क्या शिकवा
भाग मिरा खुद ही था फूटा