रूहानी व्यथा कोरोना की
मानवता की महासदी में, काल बना है कोरोना!
माँ भारती तेरे चरणों में, अब चीनी त्रासदी रोकोना!!
वुहान शहर से निकला वायरस, संकट बना है विश्व का!
चीन जला अमेरिका जला, इंग्लेंड स्पेन इटली जला!!
केरल तट से हुई घुसपैठ, हर लिया सुख भारत का!
सुनसान पथो पर विचरण करते, द्विजों को अब देखोना!!
सुख शहर का छीन गया, गांवों में दिल लगा जो देखोना!
हरपल देश कुटुंब संग, निज स्वगृहों में रहोना!!
ऋणी रहेगा हिन्द मेरा उन, कर्तव्यनिष्ठ कर्मवीरों का!
बिना सहारे बिना विचारे, फर्ज निभाते रिश्तों का!!
छिपा हकीकत फेंक पत्थर, क्या हाल किया है वीरों का!
आँखे नहीं, झुकी है गर्दन,तुम बेशर्मों से देश बचाओना!!
नतमस्तक है कवि अबोध, तुम कर्तव्यपथ पर बढ़ोना!
बचाव ही उपचार है, तुम बोलोना तुम बोलोना!!