रूपवान नारी
❤️❤️रूपवान नारी❤️❤️
आसमान से उतरी हुई,
कोई परी हो तुम,
या मेरे ख्वाबों कि,कोई मलिका हो तुम
नूर झलकता है ऐसे चेहरे पर,
जैसे पूर्णिमा का चांद हो तुम।
गेसू तेरे जैसे काले नाग लहराए,
निकलो जहां से तुम,
काली घटा छा जाए,
क्या तारीफ करूं तेरी जुल्फों की,
तू चौदहवीं का चांद हो जाए।
जिस गली से गुजर जाती हो तुम,
कयामत कर देती हो तुम,
खुदा की तराशी हुई, कोई मूर्ति हो तुम,
या बगिया की खिलती हुई कली,
तुझे क्या मिसाल दूं
धरा पर !सौन्दर्य की देवी हो तुम।।
सुषमा सिंह उर्मि