रुसवा है सच्चाई …..
रुसवा है सच्चाई …..
नाम नैन सुख रख डाला
पर आँखों से हैं अंधे
श्वेत वस्त्र की आढ़ में
ये करते काले धंधे
आंसू करते कैश हैं
ये धर्म- कर्म के पंडे
टिकट स्वर्ग का देने को
ये मांगे हरदम चंदे
प्रभु द्वार पर भ्रष्टाचार
फैलाते प्रभु के बंदे
विस्मृत मानव ठगा देखता
श्वेत ढोंगी के धंधे
किस पर करे विशवास
दिलों में छाई छल की काई
कदम- कदम पर फिसले
चप्पल कोई काम न आई
कुछ भी बुरा नहीं इस युग में
लक्ष्मी बस कैसे भी आई
बेच प्रभु की मूर्त उसने
रोटी चुपड़ी ही खायी
खिले-खिले हैं झूठ के चहरे
रुसवा है सच्चाई
सच
रुसवा है सच्चाई
सुशील सरना