रुप घनाक्षरी
रूप घनाक्षरी
मिलें जब हम सब , मोदी जी की बात करें,
साधक प्रधानजी का, ध्यान रखें लगातार।
भारत अखण्ड बने, सेवारत सभी रहें,
स्वाभिमान संयम से, जीवन का हो उद्धार।
राष्ट्र भक्ति सर्वोपरि, अपना है धर्म यही।
देश-देश बनें मित्र, शत्रु की न सहें मार।
त्यागा सदा निज स्वार्थ, सर्व प्रिय मोदी जी ने।
रचा राष्ट्र इतिहास, दुश्मन है तार तार।
-डॉ० प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम”
लखनऊ