रुको ज़रा मैं अपनी झुलफें तो संवार लूं,
रुको ज़रा मैं अपनी झुलफें तो संवार लूं,
तुम्हें आईना बनाकर ज़रा खुद को निहार लूं।
रातें कई बिताई हैं मैंने जागकर इंतजार में,
ठहरो तुम्हारे साथ एक शाम तो गुजार लूं।
लोग कहते हैं कि मैं संवरने लगी हूं तेरे प्यार में,
तुम पास बैठो मेरे, मैं खुद अपनी नज़र उतार लूं।
कुछ न मांगुगी मैं फिर खुदा से कभी दुआओं में,
तू मिल जाए मुझे तो सारे ज़माने की दौलत तुझपे वार लूं।