रिस्तों को दिल से निभाना चाहिये
रिश्तों को दिल से निभाना चाहिये
अपने गर रूठें मनाना चाहिये
उगते सूरज को सभी सजदा करें
ढलते को भी सर झुकाना चाहिये
जीता जाता है दिलों को प्यार से
नफ़रतें दिल से मिटाना चाहिये
ज़िंदगी अपनीतो सब जीते मग़र
नेकियाँ भी कुछ कमाना चाहिये
राह में कांटे भी मिलते फूल भी
खुद को कांटों से बचाना चाहिये
“योगी”सुनके अनसुनी करते हैं जो
बात दिल की ना बताना चाहिये