रिश्ते
रिश्ते
रिश्ते सब सामाजिक बंधन।
प्रिय रिश्तों का हो अभिनंदन।।
जिनको रिश्ते लगते प्यारे।
वे मानव अनुपम प्रिय न्यारे।।
सामाजिक सम्बन्ध निराला।
इसमें अमृत की है हाला।।
जो रिश्ते को सहज निभाता।
सच्चा रिश्तेदार कहाता।।
हर रिश्ते को मधुर बनाने।
का मतलब है सुखद खजाने।।
जिसको रिश्ता स्नेहिल उर्मिल।
सदा चमकता कभी न धूमिल।।
नाते -रिश्ते जिसको उत्तम।
उसका जीवन मधुरिम अनुपम।।
रिश्तेदारी सदा लुभावन।
हों समबन्ध दिव्य मनभावन।।
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।