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1 Oct 2022 · 4 min read

*रिटायरमेंट : कुछ विचार (हास्य व्यंग्य)*

रिटायरमेंट : कुछ विचार (हास्य व्यंग्य)
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रिटायरमेंट के बारे में सुनकर दो प्रकार के विचार आते हैं। एक तो यह कि रिटायरमेंट एक सुंदर शब्द है। काम का बोझ इस दिन से समाप्त हो जाता है। जिम्मेदारियाँ समाप्त होती हैं । व्यक्ति हँसता मुस्कुराता है और अपने घर में आँगन में धूप में कुर्सी पर बैठकर दोपहर का समय व्यतीत करता है।
दूसरा विचार यह है कि अब क्या किया जाए ! जो मस्ती ऑफिस में थी, वह तो अब लौट कर आने से रही । दफ्तर में सहकर्मियों के साथ खुली धूप में कुर्सियाँ डाल कर मूंगफली खाने का जाड़ों का सुख अब रिटायरमेंट के बाद तो मिलने से रहा ! सच पूछो तो देवता भी इस सुख को पाने के लिए तरसते हैं । कई लोग दफ्तर आराम करने के लिए जाते हैं । दिन भर आराम करते हैं और शाम को सुविधा – शुल्क जेबों में भरकर लौटते हैं । ऐसे लोगों को रिटायरमेंट शब्द ही परेशान कर देता है । घर में या तो खाली बैठेंगे या घर के चार काम करने पड़ेंगे और सुविधा शुल्क की तो बात दूर रही ,आमदनी पेंशन के रूप में भी आधी ही मिलेगी। समझ लो नर्क शुरू हो गया।
अपनी-अपनी किस्मत है । कुछ लोग सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद अपना नया बिजनेस या दुकान खोल लेते हैं। कुछ लोगों को सरकार ही किसी न किसी काम धंधे में लगा देती है । ऊँचे दर्जे के लोग सरकारी कमेटियों में फिट कर दिए जाते हैं। परम भाग्यशाली लोग राजनीति में आ जाते हैं तथा सांसद और विधायक तथा कई बार मंत्री भी बन जाते हैं । सब कुछ अनिश्चित रहता है।
राजनीति में प्रायः लोग प्राइवेट काम धंधों की तरह रिटायर नहीं होते। बहुत पहले एक नेता ने कहा था कि साठ वर्ष की आयु में नेताओं को रिटायर हो जाना चाहिए मगर इतिहास गवाह है कि दशकों बीत गए सिवाय उनके साठ साल की उम्र में कोई नेता आज तक रिटायर नहीं हुआ । कई लोग अब राजनीति से रिटायर होने की उम्र पिचहतर वर्ष मानने लगे हैं लेकिन सच तो यह है कि नेता सौ साल का भी हो जाए तब भी वह न तो कुर्सी से हटेगा ,न कुर्सी छोड़ेगा और न कुर्सी के प्रति अपनी लालसा कम करेगा।
दफ्तरों में रिटायरमेंट का दिन बड़ा महत्वपूर्ण होता है । सीट खाली होने का अनुमान विभाग में सबको लग जाता है। अपनी-अपनी जुगाड़ में सब लोग साल-दो साल पहले से लगे रहते हैं। नियुक्ति किसके हाथ में है ,यह पता करने के बाद कोशिशें चलने लगती हैं। यह रिटायरमेंट के साइड इफेक्ट हैं। जो लोग जिम्मेदार पद पर होते हैं, वह अपनी फाइलें निपटाना शुरू करते हैं तथा राजी – खुशी पेंशन बन जाए ,इस बारे में विशेष प्रयत्नशील रहते हैं । किसी आरोप में न उलझ जाएँ, इसका ख्याल उन्हें रखना पड़ता है । बहुत से लोगों का रिटायरमेंट के आखिरी वर्ष में व्यवहार बिल्कुल बदल जाता है। वह भेड़िए से गाय बन जाते हैं। जो आदमी बिना किसी आरोप के रिटायर हो जाता है ,उसे सब लोग बहुत भाग्यशाली मानते हैं। सरकारी नौकरी में कब किस पर कौन सा दाग लग जाए, नहीं कहा जा सकता। प्रायः सभी दाग ले – देकर छूट जाते हैं लेकिन कई बार कुछ परमानेंट-मार्कर से लगे हुए दाग होते हैं । उनको छुड़ाना असंभव हो जाता है । वह जीवन-भर पीछा करते रहते हैं ।
रिटायरमेंट वाला दिन भावुक होता है ।सब लोग उसका जब विदाई समारोह आयोजित करते हैं, तब भावुकता वातावरण में फैल जाती है । विदाई के समय सब लोग इतनी प्रशंसा करते हैं कि व्यक्ति मन ही मन सोचता है कि मेरे बारे में इन सबके इतने अच्छे विचार थे ,यह मुझे पहली बार पता चल रहा है । लेकिन फिर वह स्थितियों को परखता है और सोचता है कि दो साल पहले जब अमुक सज्जन रिटायर हुए थे तब उसने भी उनके सम्मान में ऐसा ही भावुक भाषण दिया था ,जिसका भावनाओं से कोई संबंध नहीं था। रिटायरमेंट एक औपचारिकता है। कुछ लोग बैठे,फूलमाला पहनाई ,स्मृति चिन्ह भेंट किया और घर तक छोड़ कर आ गए। फिर उसके बाद सब अपने-अपने कामों में लग जाते हैं । रिटायर हुआ व्यक्ति अकेला पड़ जाता है और जीवन का अगला चरण उसे अकेले ही बिताना पड़ता है।
व्यापारी और उद्योगपति रिटायर नहीं होते। जिंदगी की आखरी साँस तक दुकानदार झोला लेकर दुकान पर जाता है। जितना कमाता है , उतना खाता है । उसे कोई पेंशन नहीं मिलती है ,वह इसका बुरा भी नहीं मानता । उसने आड़े वक्त के लिए कुछ न कुछ बचा कर अवश्य रखा होता है।
जो लोग बुढ़ापे से पहले ही अपनी जवानी के कुछ हिस्से को घर की तिजोरी में अथवा बैंक की एफ.डी. के रूप में जमा करके रख देते हैं ,वह थोड़ा-थोड़ा खाकर अपनी जिंदगी खुशी से गुजार देते हैं । वरना एक दिन दुनिया से रिटायर तो सभी को होना है ।
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लेखक : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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