राह में मिला कोई तो ठहर गई मैं
राह में मिला कोई तो ठहर गई मैं,
धड़कते दिल की धड़कनो से भी डर गई मैं।
कुछ अधूरे ख़्वाब लेकर निकली थी कभी,
अब उन्हीं ख़्वाबों के पीछे दर बदर गई मैं,
मोहब्बत है आज भी उनसे मुझे यह सच है लेकिन,
जब उन्होंने पूछा तो मुकर गई मैं।
वक्त बदला तो कम हो गई कीमत मेरी,
बस इसी फिक्र में बिखर गई मैं,
सब नादानियों को मेरी नजरंदाज करना जनाब,
किसी का दिल दुखाकर खुद भी मर गई मैं,
कब सोचा था कि मुझे ये भी करना आ जाएगा,
सर झुकाकर तेरी गलियों से गुज़र गई मैं।