राह गर दुश्वार है
राह गर दुश्वार है
हाथ में पतवार है
सच की ख़ातिर दोस्तो
मौत भी स्वीकार है
शे’र है कमज़ोर तो
शा’इरी बेकार है
चुभ रहा है शूल-सा
फूल है या खार है
रिश्ते-नातों में छिपा
ज़िन्दगी का सार है
झूठी ये मुस्कान भी
ग़म का ही विस्तार है
घी में चुपड़ी रोटियाँ
पगले माँ का प्यार है