राहें भी होगी यूं ही,
राहें भी होगी यूं ही,
और कारवां भी होगा।
महफ़िल भी सजी होगी,
अदना वहां न होगा।
मेरे नज़्म होंगे रौशन,
जैसे चराग़ जलते।
कुछ हमसफ़र से बनकर
यादों में बहुत खलते।
लम्हे हैं गुज़र जाते,
राहों पे चलते चलते।
कुछ हमसफ़र से बनकर
यादों में बहुत खलते।