रास्ता जाम (छोटी कहानी)
रास्ता जाम (छोटी कहानी)
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“हजूर ! हमारी गाड़ी को रास्ता दे दीजिए। मरीज अधमरा पड़ा है । अस्पताल लेकर जाना बहुत जरूरी है।” कहकर दो लोग दूर जाम में फंसी हुई सफेद मारुति की ओर इशारा करके समझाने लगे।
बबलू भाई ने एक उड़ती हुई नजर कार पर डाली और दूसरी नजर उन दोनों व्यक्तियों पर डाली, जो उनके सामने अपना दुखड़ा रोने के लिए आए थे।
” रास्ता कहाँ से दे दूँ? देख रहे हो पूरा जुलूस फैला हुआ है।”
” हजूर ! जलूस को एक तरफ करके गाड़ी निकलने का रास्ता मिल जाए तो हमारा मरीज जल्दी अस्पताल पहुंच जाएगा।
” देखो भाई ! साल में एक बार तो जुलूस निकलता है और उस पर भी तुम लोग उसे निकलने नहीं देना चाहते हो। सब्र करो। जुलूस निकल जाएगा। फिर तुम लोग भी चले जाना ।”कहकर उदासीनता पूर्वक बबलू भाई जुलूस के संचालन में व्यस्त हो गए।
पूरे आधे घंटे में गाड़ी को रास्ता मिला। पूरे आधे घंटे तक सड़क पर रास्ता जाम रहा और जुलूस निकलता रहा। जुलूस के शोरगुल में किसी को कुछ सुनाई नहीं आ रहा था । जब थोड़ी सुनसान जगह पर जुलूस पहुंचा तो बबलू भाई के मोबाइल की घंटी बजती हुई सुनाई दी ।मोबाइल जेब से निकाला । कान पर लगाया । उधर से किसी ने कुछ कहा और बबलू भाई पागलों की तरह पीछे की तरफ दौड़ पड़े ।
उसी मारुति कार के पास पहुंचे ,जो जाम में अभी फँसी थी। तुरंत दरवाजा खोला ।
“मेरा बेटा ! “कहकर फफककर रोने लगे। गाड़ी में बबलू भाई का इकलौता पुत्र दम तोड़ चुका था ।
“कैसे हुआ यह ?”
” छत पर खेल रहा था। मुँडेर के पास पैर फिसला और नीचे गिर पड़ा। हम लोग संयोगवश अपनी कार से वहीं से गुजर रहे थे। झटपट बच्चे को बिठाया और अस्पताल के लिए जा ही रहे थे कि रास्ते में जाम में फँस गए हैं। अब जुलूस निकला है लेकिन कोई फायदा नहीं।”
बबलू भाई सिर पकड़ कर बैठ गए।
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लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976154 51