राम कृपा (घनाक्षरी छंद)
राम कृपा
घनाक्षरी छंद
1
राम की कृपा हो यदि, फिर कहना ही क्या है,
करते हैं जग वाले आकर कृपा सभी।
किस पर किस उम्र में कृपा करेंगे राम,
यह बात कोई बतला सके नहीं अभी।
बुढ़ापे में तन कमजोर,मन जोर भरे,
आती है हताशा राम, करते कृपा तभी।
पाकर प्रभू की कृपा, जीवन को धन्य मान,
मैं भी काव्य पाठ कर लेता हूँ कभी-कभी।
2
उम्र के बंधन में बँधी नहीं प्रभु की कृपा,
जब जिसे मिली सच्ची भावना पाके मिली ।
ध्रुव प्रह्लाद को मिली है बाल्यकाल में ही,
जैसे पुत्र को खुशी, पिता की गोद में मिली।
जवानी में मीरा गज द्रोपदी ने पाई कृपा,
गणिका को प्रभु कृपा,सुआ पढ़ाके मिली ।
साँड़ कवि शबरी सुदामा, इन तीनों को ही,
राम की कृपा पूरे बुढ़ापे में आके मिली।
3
राम की कृपा से भालू बंदर आकाश उड़े,
पानी पर पत्थर भी तैरते दिखाये हैं।
आग हुई शीतल व रेत में कमल खिले,
घूरे के धतूरे पुष्पराज कहलाये हैं।
राम की कृपा से ही,अयोध्या के दिन फिरे,
तंबू से निकल राम,मंदिर में आये हैं।
राम की कृपा से सब संभव है मान गये,
काशी मथुरा के भक्त, खुशियाँ मनाये हैं।
गुरू सक्सेना
( साँड़ नरसिंहपुरी)
23/1/24