रामचरितमानस
#रामचरित
#दोहे
रामचरित मानस लिखा, कवि श्री तुलसीदास।
पत्नी प्रेरित कर दिया, बढा राम विश्वास।।
राम नाम महिमा लिखी,लिखा जन्म इतिहास ।
प्रभु राम की बालकथा, मिला राज वनवास।।
पंचवटी आश्रम लिखा ,सिया हरण की बात।
खोज रहे सीता पता,कहाँ लता अरु पात।।
मिला जटायु राह में,कहा सभी समझाय।
लंकापति रावण हरी,सीता तब असहाय।।
राम सुग्रीव मित्रता, समुद्र बाँधा राम।
बानर सेना संग में, पहुँचे लंका धाम ।।
बना विभीषण मित्र तब,रावण का संहार।
बाद अबध राजा बने,गुण गाता संसार।।
रामचरित महिमा बडी, सब वेदों का सार।
पाठ करें श्रद्धा सहित , भव सागर हो पार।।
जन्म जन्म की चाह को, पूर्ण किया करतार ।
रामचरित के पाठ से,मिटते सभी विकार।।
अवसर आते बहुत कम, युगों युगों के बाद ।
प्रभु लीला को समझना ,प्रभु कृपा नहीं याद।।
लीला सब श्री राम की,जान सका है कौन ।
तुलसी बाबा लिख गये ,राम भक्त नहि मौन।।
राजेश कौरव सुमित्र