राधा
राधा
है राधा अति प्रेम दिवानी।
बनी हुई कान्हा की रानी।।
कृष्ण लिये तुझको lझूमेगा।
हर क्षण प्रिय मस्तक चूमेगा।
तेरे बिना कृष्ण आधा है।
तूने कृष्णा को साधा है।।
एक दूसरे में रहते हो।
प्रेम सरित बनकर बहते हो।।
राधा के पीछे पागलपन।
श्याम निछावर करता तन-मन।।
झूमे राधा कृष्ण संग में।
रस बहता है अंग-अंग में।।
राधा तुम साक्षात प्रकट हो।
माधव का मधु प्यार झपट हो।।
अति मोहक मुस्कान लपट हो।
बनी प्रेमिका दिव्य लिपट हो।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।