Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2022 · 1 min read

*राधा और माधव का रास था ( घनाक्षरी )*

राधा और माधव का रास था ( घनाक्षरी )
____________________________
थिरक रहे हों स्वर्ण-नीलमणि एक साथ
इस भॉंति राधा और माधव का रास था
बरस रहा था रस बरबस हृदय में
हास-परिहास मानस में उल्लास था
ध्वनि नूपुरों की छन-छन-छन-छना-छन
छलक रही छटा का अक्षय विकास था
हों हजार श्याम हों हजार ब्रजराजरानी
हुआ रास-महारास में यह आभास था
—————————————-
रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

119 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
भक्ति -गजल
भक्ति -गजल
rekha mohan
आसमान
आसमान
Dhirendra Singh
जीवन तब विराम
जीवन तब विराम
Dr fauzia Naseem shad
गुरुकुल स्थापित हों अगर,
गुरुकुल स्थापित हों अगर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अश्रु से भरी आंँखें
अश्रु से भरी आंँखें
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
अपने साथ तो सब अपना है
अपने साथ तो सब अपना है
Dheerja Sharma
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Shashi Dhar Kumar
यह प्यार झूठा है
यह प्यार झूठा है
gurudeenverma198
कारोबार
कारोबार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*
*"बसंत पंचमी"*
Shashi kala vyas
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Harminder Kaur
इश्क  के बीज बचपन जो बोए सनम।
इश्क के बीज बचपन जो बोए सनम।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2734. *पूर्णिका*
2734. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"शब्द"
Dr. Kishan tandon kranti
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
Dushyant Kumar
माँ
माँ
Sidhartha Mishra
चाँद पूछेगा तो  जवाब  क्या  देंगे ।
चाँद पूछेगा तो जवाब क्या देंगे ।
sushil sarna
खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है
VINOD CHAUHAN
हार
हार
पूर्वार्थ
फर्श पर हम चलते हैं
फर्श पर हम चलते हैं
Neeraj Agarwal
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
'अशांत' शेखर
अवसर
अवसर
संजय कुमार संजू
धरातल की दशा से मुंह मोड़
धरातल की दशा से मुंह मोड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
माँ भारती वंदन
माँ भारती वंदन
Kanchan Khanna
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
सच्ची होली
सच्ची होली
Mukesh Kumar Rishi Verma
मौसम
मौसम
Monika Verma
Loading...