रात लगा ऐसा ख्वाबो मे
रात ऐसा लगा ख्वाबो मे ।
जैसे हो तुम मेरी निगाहो मे ।
रात ऐसा लगा ख्वाबो मे ।
देखता मै रह गया तेरे रूप को ।
उन लहराते हुए जुल्फो को ।
करीब आना तो चाहे मगर ।
तेरे नैनो के रस से जी भर गया ।
ऐसा लगता है जैसे ।
हो तुम मेरी बांहो मे ।
रात ऐसा लगा ख्वाबो मे ।
जैसे हो तुम मेरी निगाहो मे ।
देखकर हमे यूं शर्माना ।
क्या हसीन है दृश्य है ये जानेजाना ।
फिर न कुछ कहते हो
तेरी आंखे ही सब कुछ बयां करती है ।
हां आप मुझसे इश्क करती है ।
तुम फसा लो न हमे इन जालो मे ।
रात ऐसा लगा ख्वाबो मे ।
जैसे हो तुम मेरी निगाहो मे।
तङपा के मारो न ऐसे तुम जानेजां ।
करवटे बदलता हूं मै सारी रैन ।
तुम्हारी यादो मे तन्हा तारो के बरातो मे ।
जब भी सोचें तेरा ही मुखङा आता है ख्यालो मे ।
रात ऐसा लगा ख्वाबो मे ।
जैसे हो तुम मेरी निगाहो मे ।
Rj Anand Prajapati