रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
घर से निकल गए हैं अब घर जाना ठीक नहीं है
नदियों हो जाती है कभी-कभी उफान पर….,
हर मौसम में हौसला आजमाना ठीक नहीं है !!
कवि दीपक सरल
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
घर से निकल गए हैं अब घर जाना ठीक नहीं है
नदियों हो जाती है कभी-कभी उफान पर….,
हर मौसम में हौसला आजमाना ठीक नहीं है !!
कवि दीपक सरल