रात का मायाजाल
जब बिखरता है , इक रात का माया जाल।
करवट लेते मन में,आधे अधूरे कुछ सवाल।
दिल पूछना चाहे,उस खुदा से क्यों आखिर
अता की एक जिंदगी,साथ दिये सौ जंजाल।
रब अपने हर बंदे पे ,करता है रहमो करम
फिर आखिर क्यों न ,आया तुझे मेरा ख्याल।
गिरुं चाहे जितनी बार ,फिर उठना है मुझे
नाम तेरा ले ले कर ,करते जाना है कमाल।
भटक न जाऊं ,सही रास्ते से मैं कभी भी
ऐसा कुछ न करूं,रहे उम्र भर मुझको मलाल।
सुरिंदर कौर