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13 Dec 2022 · 1 min read

रात उसको अब अकेले खल रही होगी

ग़ज़ल
*******
बात उसके जेहन में कुछ चल रही होगी
रात उसको अब अकेले खल रही होगी

खौफ उसका प्रीत को क्या आज़माएगा
मूंग छाती पर खड़ी वो दल रही होगी

इश्क़ अपना हाथ में ले कर दिया घायल
अब न कोई दाल उसकी गल रही होगी

बैठकर आगोश में जब मौत नाचेगी
तब ख़ुदी को रूह उसकी छल रही होगी

जब उठेगा ज्वार भाटा दिल के सागर में
तब नई इक और ‘माही’ पल रही होगी

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’

Language: Hindi
1 Like · 227 Views
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