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21 Jan 2020 · 1 min read

रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है

निशा आती है
दिनभर की थकान के बाद
अँधेरा धीरे धीरे घना होता जाता है
पर फिर भी
थके हारे श्रमिक के मन को भाती है
क्योकि
वह दिनभर की थकान को भुला देता है
और
सपनो में खो जाता है
एक सुनहरी नींद के सहारे
उसे रात्रि की कालिमा नज़र नही आती
वरन एक सुखद अहसास के साथ
चन्द्रमा की शीतल चांदनी और
अपने
सुखद भविष्य की तस्वीर नज़र आती है
रात का अँधेरा उन्हीं के लिए अँधेरा है
जो श्रमहीन है और
निठल्ले बैठकर दिन व्यतीत करते है
जिनके लिए सवेरा भी कोई मायने नही रखता
क्योंकि
वह दीनहीन सवेरे का मतलब ही नही जानते
निशा एक दिशा देती है
आदमी के विचारों को और
एक नवीन स्फूर्ति से भरकर
सवेरे उठने की पूर्व तैयारी
निशा में दिवस की आसा छिपी रहती है
जो रोज हमें कहती है कि
रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है । ..
..मधुप बैरागी ………

Language: Hindi
3 Likes · 557 Views
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