” राजनीतिक परिवर्तन “
लोग
घड़ी – दर – घड़ी
शब्दों का
घृणित वमन करते ,
इसी
वातावरण में पलते
जी रहे हैं
दिन – प्रतिदिन काटते ,
समयानुसार
अपना आत्म – सम्मान
ताक पर रख कर
वही दिखाई देगें
अपना
वमन चाटते ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममत सिंह देवा , 25 – 02 – 92 )