रहे फासले से
रहे फासले से मिटी दूरियाँ ना
बँधी इश्क़ की पाक वो डोरियाँ ना
मयस्सर नही पायलों की ये छमछम
झरोखे में दिल के बजी चूड़ियाँ ना
– ‘अश्क़’
रहे फासले से मिटी दूरियाँ ना
बँधी इश्क़ की पाक वो डोरियाँ ना
मयस्सर नही पायलों की ये छमछम
झरोखे में दिल के बजी चूड़ियाँ ना
– ‘अश्क़’