रमजान में….
रमजान में अल्लाह की रहमत अकूत है,
रोजा तेरा कुबूल बस ईमान साफ रख।
उसके करम का पार कोई है न पा सका,
इंसान बन इंसान का हर दिन खयाल रख।
खुदा के महल में तो बक्शीशों की न कमी कोई,
बसर जितने में हो जाये फ़क़त उतनी ही मांग रख।
सब एक सिजदा काफी है सच्चे ईमान का,
मोहब्बत खुदा की दिल में सुबह और शाम याद रख।
रहें मशगूल न केवल महीने भर इबादत में,
आखिरी सांस तक ‘अदना’ख़ुदा का नाम याद रख।
सतीश सृजन