रफ्ता रफ्ता गुजर रही जिंदगी
रफ्ता रफ्ता गुज़र रही जिंदगी
ये जिंदगी हैं,गुज़रती ही नही हैं!
ख्वाइशें हैं थोड़ा उम्मीद भी
लेकिन हासिल कुछ भी नही हैं!
बहुत कुछ छुपाए,कुछ ना कहा
बाते तुम्हारी,बातो में कुछ भी नही हैं!
हमेशा दुआएं जो माँगी खुदा से
फर्श से अर्श पे टकरा गयी हैं!
बाद मुद्दतो के जो याद आयी
रफ्ता रफ्ता क्यू भूलती जा रही हैं!
इश्क हैं,जुनूँ हैं,और ना जाने क्या क्या
हासिल करने की आदत मेरी गयी नही हैं!!
-आकिब जावेद