रदुतिया
तईया जमाना म लाईका रहेन,
बने रदुतिया मनावत रहेन।
झोर झोर के पानी गिरय
गली खोर म नरवा बहय।
सरबट सरबट दौड लगान,
माड़ी के आत ल चिखला सनान।
कुद कुद के रदुतिया देखन,
भगवान म पैसा फेंकय तेला बिनन।
ये पारा ल खींचत ओ पारा ले जान,
रथ म रदुतिया भगवान बिठान
लाई मोहन भोग के परसाद बनय
ओंजरा ओंजरा पुजारी बांटय,
नवा नवा ओन्हा कुर्ता पहिनय,
रदुतिया के दिन जबर मेला भराय ।
एक घ महु ह मामा घर गे रहेंव,
नान अक म उपदरव रहेव।
रदुतिया भराय रिहिस तिंहा ,
10,10 के नोट पाय रहेंव तिंहा।
सब झन कहिन झन देबे तोर मामी ल,
उने न गुने दुसर मेर लुकाय रहेंव तिंहा।
जान डारिस मोर मामी ह,
बिलाई कस गुरर्राय तिंहा ।
तेकर पाके ओ दिन ल सुधर गेंव,
आज तक कुछू ल नई लुकायेव
रदुतिया अब्बड़ सुहाय
बारात जाथन कस लागय।
खेतिखार म नागर चलत रहय,
सुली आके धान ह जागत रहय।
तईया जमाना ह अब्बड़ नीक लागत रहय।
ननकी
दिनांक 20/06/2023