रक्षा में सूत्र
गिरे हैं मानवीय मूल्य
घटा है जीवन में स्तर
जरूरी है अहसास रिश्तों में उभरे
गगन नभ इंद्रधनुष सा आभास ..
झुक जाये जो प्रेम की बरसात सा.
पुलकित हो जिससे हर पत्र हर कलि
संवत सा हो जाये
भाई बहन का यह पवित्रतम त्यौहार.
रक्षा हो हर बहन की
सबकी हो जैसी हो अपनी.
कलियुग सी छाप हटे
सतयुगी सा हृदय सजे.
भौतिक चीजों सा न ग्रास बने.
उद्भव हो सहज सरल निर्लिप्त प्रेम बहे.
इस रिश्ते की रक्षा में निर्बाध हाथ बढ़े .
बहनें भी लें संकल्प आज .
न कोई ऐसा काम करें .
जो कुटुम्ब को तार तार करे.
इस आशा के साथ सभी को “रक्षा के सूत्र”
का पर्व राखी एवं रक्षाबंधन के पर्व एवं उत्सव की ढेरों शुभकामनाएं ?
डॉ_महेन्द्र महादेव क्लिनिक, मानेसर हरियाणा.