::::: रक्षा करो माता रानी :::::
दुनिया की माया नगरी में,
उलझ कर रह गई नश्वर काया।
हे माता! मैंने तुझे बुलाया।।
छल प्रपंच स्वार्थ ने दबोचा,
दूर हुआ अपनों का साया।
हे माता! मैंने तुझे बुलाया।।
अहंकार ने ऐसा घेरा,
मन मस्तिष्क भी है भरमाया।
हे माता! मैंने तुझे बुलाया।।
चहुंओर फैली मतलबपरस्ती,
लिपट रही है मोह-माया।
हे माता! मैंने तुझे बुलाया।।
चेहरों पर लग रहे मुखौटे,
पहचानें न अपनी ही छाया।
हे माता! मैंने तुझे बुलाया।।
यह कैसा है युग आया,
सब अपनों को किया पराया।
हे माता! मैंने तुझे बुलाया।।
हे मेरी माता तू ही कर रक्षा,
इस हाल पे मेरा दिल भर आया।
हे माता! मैंने तुझे बुलाया।।
—रंजना माथुर दिनांक 23/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना.
©