*रक्षक है जनतंत्र का, छोटा-सा अखबार (कुंडलिया)*
रक्षक है जनतंत्र का, छोटा-सा अखबार (कुंडलिया)
रक्षक है जनतंत्र का, छोटा-सा अखबार
जीवित इससे ही कहो, कहने का अधिकार
कहने का अधिकार, बड़ा दायित्व निभाता
नीर-क्षीर का बोध, सभी को राह दिखाता
कहते रवि कविराय, आसुरी-तम का भक्षक
होता है अखबार, देश-जनता का रक्षक
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451