Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2021 · 1 min read

रकीब

दीदार ए हुस्न हमको भी करा दीजिए,
रुख से जरा नका़ब हटा दीजिए ।
थोडा़ रहम मुझ गरीब पर भी कीजिए
महबूब न सही रकी़ब ही बना लीजिए,

डां अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)

Language: Hindi
2 Comments · 234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लहर
लहर
Shyam Sundar Subramanian
‼ ** सालते जज़्बात ** ‼
‼ ** सालते जज़्बात ** ‼
Dr Manju Saini
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
Rituraj shivem verma
क्राई फॉर लव
क्राई फॉर लव
Shekhar Chandra Mitra
जाति  धर्म  के नाम  पर, चुनने होगे  शूल ।
जाति धर्म के नाम पर, चुनने होगे शूल ।
sushil sarna
गर्जन में है क्या धरा ,गर्जन करना व्यर्थ (कुंडलिया)
गर्जन में है क्या धरा ,गर्जन करना व्यर्थ (कुंडलिया)
Ravi Prakash
सापटी
सापटी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
माँ आज भी जिंदा हैं
माँ आज भी जिंदा हैं
Er.Navaneet R Shandily
आज के रिश्ते
आज के रिश्ते
पूर्वार्थ
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
सच है, दुनिया हंसती है
सच है, दुनिया हंसती है
Saraswati Bajpai
* रेल हादसा *
* रेल हादसा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन में प्राकृतिक ही  जिंदगी हैं।
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
Neeraj Agarwal
दोहे
दोहे "हरियाली तीज"
Vaishali Rastogi
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
मुकाम यू ही मिलते जाएंगे,
Buddha Prakash
हर पल ये जिंदगी भी कोई ख़ास नहीं होती।
हर पल ये जिंदगी भी कोई ख़ास नहीं होती।
Phool gufran
अनजाने में भी कोई गलती हो जाये
अनजाने में भी कोई गलती हो जाये
ruby kumari
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मेरा स्वप्नलोक
मेरा स्वप्नलोक
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
हमें लगा  कि वो, गए-गुजरे निकले
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Shashi Dhar Kumar
पर्यावरण
पर्यावरण
Dr Parveen Thakur
"कुछ खास हुआ"
Lohit Tamta
"पेंसिल और कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
■ प्रसंगवश....
■ प्रसंगवश....
*Author प्रणय प्रभात*
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष
विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
23/217. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/217. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पत्थर - पत्थर सींचते ,
पत्थर - पत्थर सींचते ,
Mahendra Narayan
जख्म भरता है इसी बहाने से
जख्म भरता है इसी बहाने से
Anil Mishra Prahari
Loading...