रंजोग़म को भूलकर खुशियाँ मनाना सीखिये
रंजोग़म को भूलकर खुशियाँ मनाना सीखिये
इस ज़माने में मुहब्बत को लुटाना सीखिये
खेलने को एक भी देकर खिलौना सीखिये
रो रहा बच्चा अगर उसको हँसाना सीखिये
गीत, दोहा या ग़ज़ल लिखना लिखाना सीखिये
प्यार जिसमें से बहे ऐसा तराना सीखिये
सबको जो मोहित करे खिलने लगे दिल की कली
फूल से अल्फ़ाज़ की माला बनाना सीखिये
उलझनें या आफ़तें आएँ न हिम्मत हारनी
ज़िन्दगी की मुश्किलों को बस हराना सीखिये
मुस्कुराने से हमेशा दूर होतीं मुश्किलें
पोंछकर अश्कों को हर पल मुस्कुराना सीखिये
लश्करे-तूफ़ान भी आये तो घबराना नहीं
सब्र करके हौसले को आज़माना सीखिये
हारना तो झूट को है झूट से बचना सदा
साथ सच का हर घड़ी हरदम निभाना सीखिये
तीरगी का खेल होता ख़त्म पलभर में सदा
एक दीया कम से कम फ़ौरन जलाना सीखिये
बाद उसके छोडना होगा नहीं मुमकिन कभी
इक दफ़अ ‘आनन्द’ के नज़दीक आना सीखिये
डॉ आनन्द किशोर