***रंग बिरंगी होली***
***रंग बिरंगी होली***
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आओ खेलें हमजोली,
मिलकर सारे रंग होली।
रंग – बिरंगे रंग बिखेरें,
बनाकर सारे हम टोली।
फागुन की मस्ती छाई,
रंगीन हुई सूरतें भोली।
गोरे गोरे रुखसार रंग दूँ,
भिगो दूँ मै लंहगा चोली।
खोलो पिटारा रंगों का,
मुखड़े से चुनरी खोली।
आनंद भरी है उन्मादी,
वाणी मे है मिश्री घोली।
चोरी-चोरी चूपके-चुपके,
भाभी से हो हंसी ठोली।
गोरी के हाथों में कोड़ा,
तन पर बरसे बन गीली।
अंग अंग रंगदार हुआ,
पल मे है नियत डोली।
हँसते हए रुहानी चेहरे,
खुशियों से भरी झोली।
बन जाएं हम ब्रज छोरी,
बच न पाए कोई खोली।
रंग महोत्सव मानसीरत,
बोलें सबसे मीठी बोली।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)