रंग – बिरंगी धूल है
रंग – बिरंगी धूल है
***************
जिंदगी एक फूल है,
रंग – बिरंगी धूल है।
मन भटक सा रहा,
दूर बहुत कूल है।
हम पढ़े लिखें कहाँ,
पास नहीं स्कूल है।
बैठने को जगह नहीं,
कुर्सी बिना स्टूल है।
पहचान आती नहीं,
शक्ल बनी स्थूल हैँ।
ड़गर टेढ़ी मानसीरत,
पथ मे बहुत शूल है।
*****************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)