“”रंग देखे रंग देखें “”– (घनाक्षरी)
“””घनाक्षरी छंद”””
रंग देखे रंग देखे, दुनिया के रंग देखें।
बदरंग जिंदगानी ,गरीबों की होती है।
रोती है बिलखती है, सोती नहीं रात भर।
मोती जैसी लड़ियां तो ,अखियों की होती है।।
झोपड़ी भी टूट जाती ,दया न किसी को आती।
सताती है कैसे कैसे, नीद नहीं होती है।।
जाग जाग बीते रैना, मिलता नहीं है चेना।
अनुनय साथ देना, जान वो भी होती है।।
राजेश व्यास अनुनय