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26 Mar 2024 · 1 min read

रँगि देतs हमहू के कान्हा

रँगि देतs हमहूँ के कान्हा
अपने भक्ति के प्रीति से

सगरो जग लगे रंगहीन अब
फीका -फीका अब बात -चीत
संघतिया अब केहू न लागे
स्वारथ के कारण बने सब मीत
आजिज आ गइलीं अब हमते
दुनियां के एह रीति से
रँगि देतs हमहूँ के कान्हा
अपने भक्ति के प्रीति से

कारा रंग बा हिय में ज्यादा
उ रक्त नियन भगवा होइ जात
तन -मन पीत नियन पीयर
मन रसराज के अमवा होइ जात
आपन -आन से परे होइ जइतीं
बचि जइतीं कलुष कुरीति से
रँगि देतs हमहूँ के कान्हा
अपने भक्ति के प्रीति से

राधा रानी संग होरी खेलs
ब्रजवासिन के भाग जगावs
दे -द दरस मनोहर छवि के
आशा दे -दे के न बहकावs
दरस देवे में स्वीकार शर्त बा
तुहरे हर एक नीति के
रँगि देतs हमहूँ के कान्हा
अपने भक्ति के प्रीति से
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
गोरखपुर, उ. प्र.

Language: Bhojpuri
Tag: गीत
1 Like · 115 Views

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