यक़ीन
यक़ीन मानों जब भरोसें की लक़ीर
मिट जाती हैं ।
तो यक़ीनन यक़ीन की वो जंजीर भी
टूट जाती है।।
स्वरचिय
-प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छः ग)
यक़ीन मानों जब भरोसें की लक़ीर
मिट जाती हैं ।
तो यक़ीनन यक़ीन की वो जंजीर भी
टूट जाती है।।
स्वरचिय
-प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छः ग)