ये शहर मुझको जितना देता है
2122 + 1212 + 22
ये शहर मुझको जितना देता है
उससे ज़्यादा निचोड़ लेता है
मार डालेगी हर अदा उसकी
इश्क़ मुझको ये ख़ौफ़ देता है
डूब जाऊँ तो ग़म नहीं मुझको
हर भँवर में तू नाव खेता है
क़त्ल काफ़ी हैं यूँ तो सर उसके
वो बड़े क़द का आज नेता है
बोल्ड नारी समाज की इज़्ज़त
सच बता तूने क्या ये चेता है