ये मौत का ताण्डव
ये मौत का ताण्डव
फिर भी तुम नहीं सुधरे
अधर-धरे ज़हर-प्याला
विश-ज्वाला हरे विश्वास वायू ।।
फिर कौन बचाये हर हवाला
विश पी गये हर, हरि ने किया छल
बताओ कौन हर ,हरि का कौन हवाला
कोप इंद्र ने किया तब बचाया कृष्ण ने
आज बचा पायेगा कोई तुमको ग्वाला ?
ये मौत का ताण्डव
फिर भी तुम नहीं सुधरे
अधर-धरे ज़हर-प्याला
विश-ज्वाला हरे विश्वास वायू ।।
क्यों किसी के बनते बिगाड़ो अपने
कर लो दादागिरी मगर कब तक
जब तक प्राण-वायू संग तुम्हारे क्यूं हारे
बिगाड़ अपनो का क्या कर लोगे अपना भला
भला ये बात भूले हो तुम वक़्त पर याद रखना
हर वक़्त अपना नहीं रहता ज़रा ये सोच लेना
छल का फल भोगा है भगवान ने भी तभी
पत्थर बने इक अबला का शाप पा कर
फिर तुम क्या चीज़ हो जो मग़रूर हो
वक़्त आ रहा है ज़रा सोचो अभी से
ये छल छोड़ सीधी राह पकड़ लो भाई
ये बल पैसा छल किसी काम ना आयेगा
आदमी अकेला आया अकेला ही जायेगा
ये मौत का ताण्डव
फिर भी तुम नहीं सुधरे
अधर-धरे ज़हर-प्याला
विश-ज्वाला हरे विश्वास वायू।।
?मधुप बैरागी