ये महामारी, हम पर भारी
चंद कुछ दिनों से
मेरे शहर में ।
फैली चारो तरफ
कोरोना पीड़ितों की
करुण भरी, भयावह चीत्कार ।
ऑक्सीजन की किल्लत भारी
पड़ी चारो ओर
बिलख बिलख कर दम
तोड़ रहे सब
प्रभु करो हम पर उपकार ।।
चहु ओर फैली अशांति
नित नए खबर सुनने मिलते
कौन आज नही रहा ।
मौत का ऐसा तांडव देखो
अपनो को जलाने के लिए
मसान पर पंक्ति में लगे है,
मृतक के दुखियारी परिवार ।।
कैसे रहू शांति से मैं
मेरे अपने, मुझसे छूट रहे,
प्रकृति हमसे रूठ रही ।
इस महामारी का
जिम्मेदार हम सब
जिन्होंने शांत प्रकृति को
अपने स्वार्थ हेतु
अंधाधुंध दोहन किया ।
गोविंद उईके