नयन मेरे सूखने के कगार पर हैं,
नयन मेरे सूखने के कगार पर हैं,
अब थोड़ी खुशी देने की किसी में नहीं है क्षमता।
प्राणप्याला तो अब मेरा तोड़ ही दो ।
बेवफाई तो अब उम्मीद बन चुकी है,
मुस्कराने की उम्मीद पता नहीं कहा छुपी है ।
ग़म मेरे गुनगुनाने लगे हैं,
हर तकलीफ प्रसन्नता से मुस्कराने लगे हैं।
लालिमा मन की तो कब ही चली गयी थी,
अब बस इस ज़ालिम दुनिया की बेहयायी मुझे अपने बाहों में लिए रुकी है।