ये प्यार का खुमार है
ये प्यार का खुमार है
जो दिल ये बेकरार है
नई दिशा नई डगर
सफर ये यादगार है
अधूरी है ये ज़िन्दगी
मिला अगर न प्यार है
ये भेदभाव की नज़र
बढ़ाती बस दरार है
बना के खुद बिगाड़ता
ये कैसा चित्रकार है
बुरी प्रथायें तोड़ दी
किया प्रबल प्रहार है
थमी न साँसें इसलिये
तुम्हारा इंतज़ार है
जो ‘अर्चना’ ले जीत मन
कभी न उसकी हार है
20-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता