ये दुनिया
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
शतरंज का खेल बनाने वाला और ये दुनिया बनाने वाला दोनों मिले हुये हैं । दोनों को अच्छे से पता है इस दुनिया की रणनीति और राजनीति । दोनों नीतियों में और शतरंज के खेल और दुनिया दारी में लेश मात्र भी अंतर नहीं अंग्रेजी कहावत man supposes god disposes यहाँ खरी उतरती है । हम इंसान अपनी बुद्धि पर ज्यादा भरोसा करते है – कहा भी जाता है अधिकतर you are very emotional be practical this world does not run by heart , wisdom is most required in the worldly work.
पिछले दस साल एक प्रधान मंत्री के नाते और उससे पिछले दस साल एक मुख्यमंत्री के नाते आदरणीय मोदी जी ने कुल मिला कर अभी तक 21 साल लगातार जीत हंसिल करी बहुत आत्मविश्वास निकल कर सामने आया दुनिया भर में भारत का वर्चस्व व प्रगति स्थापित करी । जिनके लिए घर वार दुनिया दारी सब त्याग कर निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया उसी आत्मविश्वास से एक नारा दिया अबकी बार 400 पार । अबकी बार 400 पार लेकिन हुआ क्या । जो हुआ वो आपके सामने हैं । इसके लिए किसी तराजू की जरूरत नहीं । सम्पूर्ण भारत में सिर्फ 45 से 53 प्रतिशत वोट वाह भाई वाह एक भारतीय डेमोक्रेसी के मंदिर के पुजारी के चुनाव के लिये निकल कर नहीं आया 5 साल में एक बार होते हैं चुनाव । एसी की हवा खाता रहा वाह जी वाह और शातिर लोग अपनी चाल चल गए । देश का विकास रुक गया प्रगति की योजनाए खटाई में पड़ गई वंदे भारत ।
इसी लिए लिखा
शतरंज का खेल बनाने वाला और ये दुनिया बनाने वाला दोनों मिले हुये हैं । दोनों को अच्छे से पता है इस दुनिया की रणनीति और राजनीति । दोनों नीतियों में और शतरंज के खेल और दुनिया दारी में लेश मात्र भी अंतर नहीं अंग्रेजी कहावत man supposes god disposes यहाँ खरी उतरती है । हम इंसान अपनी बुद्धि पर ज्यादा भरोसा करते है
यहाँ सारी की सारी बुद्धि काम नहीं आती – ऊपर वाले का भी कुछ हिसाव है – हुहीये वही जो राम रची रखा