ये दिलकश नज़ारा बदल न जाए कहीं
ये दिलकश नज़ारा बदल न जाए कहीं,
दिल में जो बात है मुँह से निकल न जाए कहीं।
उन्होंने ऐसे देखा तो लगा कि दुनिया हिल गई,
मेरे बयान को उनकी नजर निगल न जाए कहीं।
यूं तो ख़ुद पे बहुत ऐतबार है मुझे लेकिन,
बर्फ से ये आग पिघल न जाए कहीं।
हवा चले अगर तो किवाड़ बंद कर लेना,
ये गरम राख़ शोलो में ढल न जाए कहीं।
सारी रात शराब पी है हमने,
ये उम्र नशे में ही निकल न जाए कहीं।
कभी आसमान पे चढ़ने की आरज़ू थी,
कभी ये डर कि सीढ़ी से फिसल न जाए कहीं।
ये लोग आपस में वैर रखते है सभी,
चलो यहां से चलते हैं अपने हाथ जल न जाए कहीं