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15 Sep 2024 · 1 min read

ये दिलकश नज़ारा बदल न जाए कहीं

ये दिलकश नज़ारा बदल न जाए कहीं,
दिल में जो बात है मुँह से निकल न जाए कहीं।

उन्होंने ऐसे देखा तो लगा कि दुनिया हिल गई,
मेरे बयान को उनकी नजर निगल न जाए कहीं।

यूं तो ख़ुद पे बहुत ऐतबार है मुझे लेकिन,
बर्फ से ये आग पिघल न जाए कहीं।

हवा चले अगर तो किवाड़ बंद कर लेना,
ये गरम राख़ शोलो में ढल न जाए कहीं।

सारी रात शराब पी है हमने,
ये उम्र नशे में ही निकल न जाए कहीं।

कभी आसमान पे चढ़ने की आरज़ू थी,
कभी ये डर कि सीढ़ी से फिसल न जाए कहीं।

ये लोग आपस में वैर रखते है सभी,
चलो यहां से चलते हैं अपने हाथ जल न जाए कहीं

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