ये गड़ी रे
आरो ले मोर पिरीत के तैं ये गड़ी रे,
रही रही तोर सुरता मा मन जरत हे l
बन ठन के आ मिले बर अमराई मा,
तोला गोठियाए बर ये जिया मरत हे l
अगोरा हे तै आबे पनिहारिन बनके,
घठौंदा म पुरवा संग ददरिया गाबो l
सुरता राखे रैबे ना ऐसो के मड़ई म,
पिरीत के चिन्हारी गोदना गोदवाबो l
सुन ले करोंदा मोर मया के अरजी,
तै बनके चिरइयां जिनगी ल ममहा l
अजी बरसा रुमझुम मया के झड़ी,
ये हिरदे मा मोरे झन तै आगी लगा l
दूसर अउ के दिखावा मया मा पड़ के,
सिरतोन मोर मया ला झन भूल जाबे l
मय करहूं मया बस तोला जियत भर ले,
मोर छोड़ कोनो ला अपन झन बनाबे l
✍️दुष्यंत कुमार पटेल